नमस्कार,
समाजीकरण जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है /यह कोई नहीं कह सकता है की वह सब कुछ जानता है /
इस संसार में ज्ञान का अथाह सागर भरा पड़ा है / मनुष्य जीवन भर भी सीखता रहे फिर भी उसका ज्ञान अधूरा ही रहेगा / अतः छोटा हो या बड़ा जिससे जो भी सीखने को मिले बिना किसी संकोच के ग्रहण कर लेना चाहिये / यदि कोई आपकी आलोचना करता है तो उससे नाराज होने के बजाय उसका धन्यवाद करना चाहिये की उसने तुम्हारी गलती तुम्हे बतायी और तुम्हे उस गलती को सुधारने का मौका मिला / इसी लिये उचित ही कहा गया है कि :----
निंदक नियरे राखिये आँगन कुटिया छवाय / बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय / k p