नमस्कार ,
आज हमारा भारतवर्ष प्रगति की राह पर चल पडा है / लेकिन सभी लोगों का समुचित विकास न होने के कारण व्यक्ति-व्यक्ति के बीच की खाई और अधिक चौड़ी हो गयी है / यही कारण है कि हमारे समाज में पारस्परिक द्वेष और ईर्ष्या बहुत अधिक बढ़ गयी है /इन्ही भावनाओं के चलते हमारे देश में व्यक्ति के प्रति अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है / आज सभी लोगों को तुच्छ राजनीति छोड़ कर , मिल बैठ कर इन भावनाओं और अपराधो के निराकरण के लिये सर्वमान्य राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिये /एक दूसरे की आलोचना करने से कुछ नहीं होने वाला / प्राचीन भारत में हमारे मनीषियों ने वर्ण-व्यवस्था का निर्माण किया था / जिसके कारण भारतीय समाज में एक लम्बे समय तक सामाजिक स्थिरता बनी रही और इसीलिए आज भी हमारी संस्कृति जीवित है / शुभ कामनाओं सहित ...........