नमस्कार,
इस दुनिया में भगवान् के सामने इंसान का अस्तित्व ही क्या है /होता वही है जो उसे मंजूर हो /इसलिये अभिमान , घृणा ,इर्ष्या , लालच सभी कुछ छोड़ कर उसकी शरण में अपने को समर्पित कर दो /........और अपने
कर्तब्य को करते रहो / यही सही है /
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