नमस्कार,
काफी अर्से से व्यस्त रहने के बाद आज लिखने का मौक़ा निकाल पाया हूँ |पिछले महिने परिवार
के साथ आगरा गया था |बहुत पहले से ताजमहल देखने की इच्छा थी ,परन्तु संयोग ही नहीं बन पा रहा था|
अब जा कर इतनी बड़ी उम्र में ताज के दर्शन कर पाया |दूर से पहले भी एक बार इसे देखा था,परन्तु अन्दर जा कर पूरे स्मारक को देखने का मौक़ा अब मिल पाया |यह देख कर अचरज होता है की उस काल में जब आजकल की जैसी मशीनें और साधन नहीं होते थे तब भी उन कारीगरों ने कितनी सुन्दर इमारत
बनाई | हमें अपने राष्ट्र की इस अमूल्य धरोहर की सदैव रक्षा करनी चाहिये |
बाकी फिर .......|
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