नमस्कार, कहते हैं क़ि आप भला तो जग भला/यदि हमारी विचारधारा अच्छी है तो हम हमेशा दूशरे की अच्छाईयां ही देखेंगे और हमें सभी अच्छे ही लगेंगे/ परन्तु यदि हमारे विचार बुरे होंगे तो हम दूसरे की बुराइयां ही देखेंगे और हमें सभी बुरे ही दिखेंगे/ अतः मेरे दोस्तों, सदैव दूसरों की अच्छी बातों को ग्रहण करो और स्वयं भी अच्छे बनो/ यदि आप बुराइयों की और ध्यान ही नहीं दोगे तो वह स्वयं ही आपसे दूर भाग कड़ी होंगी/
साधू ऐसा चाहिए ,जैसा सूप सुभाय/ सार सार को गहि रहे, थोथा देय उडाय//
No comments:
Post a Comment